बुधवार, 18 नवंबर 2015

दीवाली का पर्ब है फिर अँधेरे में क्यों रहूँ

दीवाली का पर्ब है फिर अँधेरे में क्यों रहूँ
आज मैनें फिर तेरी याद के दीपक जला लिए

मनाएं हम तरीकें से तो रोशन ये चमन होगा
सारी दुनियां से प्यारा और न्यारा  ये बतन होगा
धरा अपनी ,गगन अपना, जो बासी  वो  भी अपने हैं
हकीकत में वे  बदलेंगें , दिलों में जो भी सपने हैं

शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2015

Hindi Shayri शायरी (Poetry)

मैं लफ्ज़ ढूँढता ढूँढता रह गया
वो फूल देके बात का इज़हार कर गया

ये  वफ़ा तो  उन दिनों की बात  है  "फराज़ "
जब मकान कच्चे और लोग सच्चे हुआ करते  थे

कौन देता है उम्र भर का सहारा ए फ़राज़
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं .

कुछ मुहब्बत का नशा था पहले हमको फ़राज़ .
दिल जो टूटा तो नशे से मुहब्बत  हो गई .

ज़िन्दगी तो अपने ही क़दमों पे चलती है फ़राज़ .
औरों के  सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं

वो रोज़ देखता है डूबते हुए सूरज को फ़राज़ .
काश मै  भी किसी शाम का मंज़र होता

समंदर में ले जा कर फरेब मत देना फ़राज़
तू कहे तो किनारे पे ही डूब जाऊं  मैं

मुहब्बत के बाद मुहब्बत मुमकिन है फ़राज़
मगर टूट के चाहना सिर्फ एक बार होता है


जब से लगा है रोग तन्हाइयों का हमें...
एक एक कर के छोड़ गए सब लोग मुझे...

दर्द से हाथ न मिलाते तो और क्या करते!
गम के आंसू न बहते तो और क्या करते!
उसने मांगी थी हमसे रौशनी की दुआ!
हम खुद को न जलाते तो और क्या करते!

उनकी फरेबी आँखों ने मुज़रिम बना दिया हमें...
क़त्ल सबका उनकी निगाहो ने किया और कातिल बना दिया हमें... 

वो हमको पत्थर और खुद को
फूल कह कर मुस्कुराया करते हैं
उन्हें क्या पता कि पत्थर तो पत्थर ही रहते हैं
फूल ही मुरझा जाया करते हैं

रविवार, 4 अक्तूबर 2015

कल पिघल‍ती चांदनी में


कल पिघल‍ती चांदनी में 
देखकर अकेली मुझको 

तुम्हारा प्यार
चलकर मेरे पास आया था 
चांद बहुत खिल गया था। 

आज बिखरती चांदनी में 
रूलाकर अकेली मुझको 
तुम्हारी बेवफाई 
चलकर मेरे पास आई है 
चांद पर बेबसी छाई है। 
 
कल मचलती चांदनी में 
जगाकर अकेली मुझको 
तुम्हारी याद 
चलकर मेरे पास आएगी 

चांद पर मेरी उदासी छा जाएगी।



*शरद की श्वेत रात्रि में 
प्रश्नाकुल मन 
बहुत उदास 
कहता है मुझसे 
उठो ना 
चांद से बाते करों, 
 
और मैं बहने लगती हूं 
नीले आकाश की 
केसरिया चांदनी में, 
 
तब तुम बहुत याद आते हो 
अपनी मीठी आंखों से 
शरद-गीत गाते हो...!

मंगलवार, 29 सितंबर 2015

भूल कर भी न बुरा करना

भूल कर भी न बुरा करना
जिस क़दर हो सके भला करना।

सीखना हो तो शमअ़ से सीखो
दूसरों के लिए जला करना।

रह के तूफ़ां में हम ने सीखा है
तेज़ लहरों का सामना करना।

भूल कर ही सही कभी 'राणा'
याद हम को भी कर लिया करना।

मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा
अब इसके बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा

ये एक मेला है वादा किसी से क्या लेगा
ढलेगा दिन तो हर इक अपना रास्ता लेगा

मैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊंगा
कोई चराग नही हूँ जो फिर जला लेगा

कलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिए
जो बे-अमल है वो बदला किसी से क्या लेगा

हज़ार तोड़ के आ जाऊं उस से रिश्ता 'वसीम'
मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा

शनिवार, 26 सितंबर 2015

सब परिवार

ये है "सब" का परिवार
हँसाते हैं ये सारे वार
यू ही समा जाता है इनमें संसार
ऐसा है ये "सब" परिवार

पूछे जब "कन्हैया लाल" सवाल
सुनके सब हो जाएँ बेहाल
पर जब दे "श्री कृष्ण" जवाब
बन जाता है सवालों का कबाब

गीता का है इसमें सार
कर दे सबकी नैया पार

जहाँ मुसीबत पड़ने पर
दौड़ा आए "बालवीर" उधर
बच्चो का ये प्यारा वीर
कहलाता है ये "बालवीर"

ऐसे ही मदद करता रहे ये वीर
यूँ ही उड़ता रहे "बालवीर"

हँसी का है ये पिटारा
लगता है ये सबको न्यारा
गुदगुदाता रहे ये हरदम
क्योंकि नहीं है किसी से कम

"तारक मेहता का है ऊलटा चश्मा"
लगता है ये सबको अपना

मुहावरों का है इसमें ज्ञान
बढ़ाता है ये इसकी शान
शिक्षाप्रद है ये धारावाहिक
कवियों का है इसमें गुणगान

चिड़िया घर है इसका नाम
बन जाता है सबसे महान

अनोखा है ये सीरियल
फिर भी भा जाता है सबको
अजीबो-ग़रीब होती है हरकते इसमें
फिर भी मन नहीं भरता देख के इसको

"बड़ी दूर से आएँ हैं" इसमें लोग
लगाते हैं हम को देखने का रोग

ज़बरदस्ती किया है घर पर क़ब्ज़ा
क्योंकि नहीं है किसी में खाली करवाने का जज़्बा
इसी उधेड़बुन में हँसाए खूब
जिसे देखने में मज़ा आए भरपूर

रहते हैं ये किसी ओर के घर में
फिर भी हँसाने आते हमारे घर में

अच्छाइयों से भरा है ये
कभी रुलाता तो कभी हँसाता है ये
मनोरंजन से है भरपूर
इससे कभी ना जाए हम दूर

ऐसे हैं ये "यम"
जो ना दे मौत और ना दे गम

कहता नहीं है ये कुछ भी
पर हंसा जाता है फिर भी
शरारतों से है ये भरा
लगता है ये सबको खरा

नाम है इसका "रम-पम पो"
क्योंकि ये है साइलेंट रॉमांटिक शो

अब आ रही है एक और पटरी
नाम है इसका "पुलिस फॅक्टरी"
करेगी ये भी कमाल
मचाएगी ये खूब धमाल

ये है "सब" का परिवार
हँसाते है ये सारे वार
यू ही समा जाता है इनमे संसार
ये है ऐश्वर्या का कहना
चलता रहे ये "सब" परिवार l 

रिश्ते प्यार और विश्वास से बनी नाज़ुक डोर होती है

 रिश्ते प्यार और विश्वास से बनी नाज़ुक डोर होती है
जो ना निभा पाया इसकी नज़ाकत को ,वो इंसान खुद को आखिर में कमज़ोर और अकेला पाता है

कोई बेगाना हो कर भी ,यहाँ चंद पलो में अपना बन जाता है
कोई शौहरत की चाह में ,यहाँ अपनों को भूल जाता है

जीवन में हर मोड़ पे संघर्ष है
यहाँ डठकर आगे बढ़ने वाला सफलता पाता है

मेरी तमन्ना ना थी तेरे बगैर रहने की

मेरी तमन्ना ना थी तेरे बगैर रहने की...
लेकिन मजबूर को,, मजबूर की,,
मजबूरिया,, मजबूर कर देती है
एक दीवानी ‏

कुछ लोग हमें अपनी कहा करते है,
सच कहूँ वो सिर्फ कहा करते है !!

हाँ, भूल ही गया होगा वो मुझे...
वर्ना कोई इतनी देर, यूं किसी से खफा तो नहीं रहता
तकलिफ ये नही की तुम रुठ गये ।
तकलिफ ये है कि तुम बहाना गलत बता गये।।
बात मुक्कदर पे आ के रुकी है वर्ना,
कोई कसर तो न छोड़ी थी तुझे चाहने में !!
ये झुठी और सच्ची मोहब्बत क्या होती है.......!
मोहब्बत या तो होती है, या नही होती,,,,,,,😎🔱♠♥
ऐ इश्क़ ! तेरी वकील बन के बुरा किया मैनें,,,,,
यहाँ  हर शायर तेरे खिलाफ सबूत लिए बैठा हैं.......
वजह कुछ भी नही, कुछ तुम थक गये रिश्तो को निभाते निभाते...
कुछ हम भी टूट  गये है तुमको मनाते मनाते..!!
आखिर जी भर ही गया ना
और चाहो जी भर के मुझे...!
मेरे खुदा ले चल ऐसे मंजर पर मेरे कदम,
जहां न कुछ पाने की खुशी हो, न कुछ खोने का गम .
हमने तो एक ही शख्श पर चाहत ख़त्म कर दी
अब मुहब्बत्त किसको कहते है मालूम नहीं... !!
नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर,
रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है
क़ब्रों में नहीं हमको किताबों में उतारो,,
हम लोग मुहब्बत की कहानी में मरे हैं..!!
जो लोग दूसरों की आँखों में आंसू
भरते हैं वो क्यों भूल जाते है कि उनके पास
भी दो आँखें है..

शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

अचानक एक मोड पर सुख और दुख की मुलाकात हो गई।

अचानक एक मोड पर सुख और दुख की मुलाकात हो गई।
दुख ने सुख से कहा, : - तुम कितने भाग्यशाली हो,
जो लोग तुम्हें पाने की कोशिश में लगे रहते हैं....।
सुख ने मुस्कराते हुए कहा :- भाग्यवान मैं नहीं तुम हो...।
दुख ने हैरानी से पूछा :- " वो कैसे?
सुख ने बडी ईमानदारी से जवाब दिया
वो ऐसे कि तुम्हे पाकर लोग अपनों को याद करते हैं..,
लेकिन मुझे पाकर सब अपनो को भूल जाते हैं..।।

तुम आ गए हो ऐ शह-ए-ख़ूबाँ ख़ुशामदीद



तुम आ गए हो ऐ शह-ए-ख़ूबाँ ख़ुशामदीद
महका है आज दिल का गुलिस्ताँ ख़ुशामदीद।

उतरा है मेरी रूह के आँगन मे सैल-ए-नूर
गुरबत कदे में जश्न-ए-चरागाँ ख़ुशामदीद।

मिस्ल-ए-नसीम सुबह-ए-चमन हों सुबक खराम
इक इक क़दम नवेद-ए-बहाराँ ख़ुशामदीद।

जज़्बों को फिर यक़ीन की दौलत मिली आज
वजह-ए-करार-ए-क़ल्ब परीशाँ ख़ुशामदीद।

बरसों के बाद दिल में उजालों की है नुमू
मेहर-ए-मुनीर नैयर ताबाँ ख़ुशामदीद।

जाना तुम्हारी चश्म-ए-मोहब्बत का फ़ैज़ है
‘आशूर’ भी है आज ग़ज़लफ़ाँ ख़ुशामदीद।

ख़ूबाँ = The fair, The beautiful, Sweetheart, Lady-love
ख़ुशामदीद = Welcome
सैल = Short for सैलाब = Flood, Deluge, Torrent
नूर = Bright, Light, Luminescence, Luster, Refulgence
गुरबत = Exile
कद = A retreat, A den, A cavern
मिस्ल = Analogous, Example, Like, Record, Resembling
नसीम = Gentle Breeze, Zephyr
सुबक खराम = Jink
नवेद = Good News
नवेद-ए-बहाराँ = Call of Spring
क़ल्ब = Heart
वजह-ए-करार-ए-क़ल्ब = The reason of the calmness of the heart
परीशाँ = Having the disposition of a fairy, Like fairy
नुमू = Growth
मेहर-ए-मुनीर = Sunlight
नैयर = Lightsome, Luminous
ताबाँ = Hot, Burning, Light, Luminous, Shining, Radiant
चश्म = Eye
फ़ैज़ = Favour

रफ़्ता-रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामाँ हो गए


रफ़्ता-रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामाँ हो गए
पहले जाँ, फिर जान-ए-जाँ, फिर जान-ए-जाना हो गए।

दिन-ब-दिन बढ़ती गईं, उस हुस्न की रानाइयाँ
पहले गुल, फिर गुलबदन, फिर गुलबदाना हो गए।

आप तो नज़दीक से, नज़दीकतर आते गए
पहले दिल, फिर दिलरुबा, फिर दिल के मेहमाँ हो गए।

प्यार जब हद से बढ़ा सारे तकल्लुफ़ मिट गए
आप से फिर तुम हुए, फिर तू का उनवाँ हो गए।

ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं



ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।
तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है।

इक ज़रा-सा ग़म-ए-दौराँ का भी हक़ है जिसपर
मैंने वो साँस भी तेरे लिए रख छोड़ी है।
तुझ पे हो जाऊँगा क़ुर्बान तुझे चाहूँगा
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।


अपना जज़्बात में नग़मात रचाने के लिए
मैंने धड़कन की तरह दिल में बसाया है तुझे।
मैं तसव्वुर भी जुदाई का भला कैसे करूँ
मैंने क़िस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे।

प्यार का बन के निगाह-बान तुझे चाहूँगा
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।
तेरी हर चाप से जलते हैं ख़यालों में चिराग
जब भी तू आए जगाता हुआ जादू आए।

तुझको छू लूँ तो फिर ऐ जान-ए-तमन्ना मुझको
देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आए।
तू बहारों का है उनवान तुझे चाहूँगा।
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।

इसका रोना नहीं क्यों तुमने किया दिल बरबाद




इसका रोना नहीं क्यों तुमने किया दिल बरबाद
इसका ग़म है कि बहुत देर में बरबाद किया।

मेरी नज़र से न हो दूर एक पल के लिए
तेरा वज़ूद है लाज़िम मेरी ग़ज़ल के लिए।

कहाँ से ढूँढ़ के लाऊँ चराग से वो बदन
तरस गई हैं निग़ाहें कँवल-कँवल के लिए।

कि कैसा तजर्बा मुझको हुआ है आज की रात
बचा के धड़कनें रख ली हैं मैंने कल के लिए।

क्या बेमुरौव्वत ख़ल्क़ है सब जमा है बिस्मिल के पास
तनहा मेरा क़ातिल रहा कोई नहीं क़ातिल के पास।

‘क़तील’ ज़ख़्म सहूँ और मुसकुराता रहूँ
बने हैं दायरे क्या-क्या मेरे अमल के लिए।



अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको

अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको।

मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको।

ख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको।

बादाह फिर बादाह है मैं ज़हर भी पी जाऊँ ‘क़तील’
शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको।

उलझे धागों को सुलझाना मुश्किल है



उलझे धागों को सुलझाना मुश्किल है
नफरतवाली आग बुझाना मुश्किल है

जिनकी बुनियादें खुदग़र्ज़ी पर होंगी
ऐसे रिश्तों का चल पाना मुश्किल है

बेहतर है कि खुद को ही तब्दील करें
सारी दुनिया को समझाना मुश्किल है

जिनके दिल में कद्र नहीं इनसानों की
उनकी जानिब हाथ बढ़ाना मुश्किल है

रखकर जान हथेली पर चलना होगा
आसानी से कुछ भी पाना मुश्किल है

दाँवपेंच से हम अनजाने हैं बेशक
हम सब को यूँ ही बहकाना मुश्किल है

उड़ना रोज परिंदे की है मजबूरी
घर बैठे परिवार चलाना मुश्किल है

क़ातिल की नज़रों से हम महफूज़ कहाँ
सुबहो-शाम टहलने जाना मुश्किल है

तंग नजरिये में बदलाब करो वर्ना
कल क्या होगा ये बतलाना मुश्किल है

गुरुवार, 24 सितंबर 2015

"सोच का सृजन" उड़ेगी बिटिया

"सोच का सृजन" उड़ेगी बिटिया

हाँ नहीं तो और क्या

द़हे़ज

दहेज के जन्मदाता हम

पालनकर्ता हम

तो सामूल मिटाने वाला कौन होगा

हो चुका जो हो चुका

चूक तो बहुत हुई

चूका तो बहुत मौका

सुधरने सुधारने का जोश चढ़ा है

तो मौका है खा लो ना सौगन्ध

ना दोगे ना लोगे दहेज

कोर्ट मैरेज का कानून बना है

शुरुआत मैं कर चुकी

सब क्यों चूके मौक़ा

ना सताये समाजिक रूतबा

लोग क्या कहेंगे ण्ण्ण्ण्ण्ण् लोगों का तो काम ही है कहना

कोरी बातें जितना करवा लो

लम्बी लम्बी डींगे हांकवा लो

करने का वक़्त आयेगा तो

बगले झँकवा लो

बेटे की माँ को बेटे के जन्म से ही उसकी शादी का

शौक का नशा चढ़ा रहता है

तो बेटी की अम्मा तो गुड़िया की शादी शादी खेलती

आत्मजा में अपने सपने संजोये रहती है

डर लगेगी बिटिया कैसे ब्याही जायेगी

डर को दफन करो

मचलेगी बिटिया

उड़ेगी बिटिया

हाँ नहीं तो और क्या

जब से तुमसे मिली.

जब से तुमसे मिली...
मैं प्रेम को लिखने लगी...
जब तुम्हारी आखों की,
गहराईयों में उतरी तो...
अंतहीन..अद्रश्य...
प्रेम को मैं लिखने लगी...
ढूँढ रही हूँ इन दिनों
अपना खोया हुआ अस्तित्व
और छू कर देखना चाहती हूँ
अपना आधा अधूरा कृतित्व
जो दोनों ही इस तरह
लापता हो गये हैं कि
तमाम कोशिशों के बाद भी
कहीं मिल नहीं रहे हैं,



जब आप बीमार थे
तो कभी सोचा न था
यूँ चले जाओगे
और चले गए तो
आप इतना याद आओगे...


जुखाम बहुत है...
खांसी भी आ रही है
आँसू पोंछने वाले तो
बहुत मिलते हैं....
कंधो को छूते है
पीठ थपथपाते हैं
परन्तु.....
नाक पोंछने को
कोई नहीं आता....
आज्ञा दें यशोदा को


बुधवार, 23 सितंबर 2015

हौसले मिटते नहीं अरमाँ बिखर जाने के बाद

हौसले मिटते नहीं अरमाँ बिखर जाने के बाद
मंजिलें मिलती है कब तूफां से डर जाने के बाद

कौन समझेगा कभी उस तैरने वाले का ग़म
डूब जाये जो समंदर पार कर जाने के बाद

आग से जो खेलते हैं वे समझते है कहाँ
बस्तियाँ फिर से नहीं बसतीं उजड़ जाने के बाद

आशियाने को न जाने लग गई किसकी नज़र
फिर नहीं आया परिंदा लौटकर जाने के बाद

ज़लज़ले सब कुछ मिटा जाते हैं पल भर में मगर
ज़ख्म मिटते है कहाँ सदियाँ गुज़र जाने के बाद

आज तक कोई समझ पाया न यह राज़े-हयात
आदमी आखिर कहाँ जाता है मर जाने के बाद

प्यार से जितनी भी कट जाए वही है ज़िंदगी
याद कब करती है दुनिया कूच कर जाने के बाद


कौन यहाँ खुशहाल बिरादर

कौन यहाँ खुशहाल बिरादर
बद-से-बदतर हाल बिरादर


क़दम-क़दम पर काँटे बिखरे
रस्ते-रस्ते ज़ाल बिरादर

किसकी कौन यहाँ पर सुनता
भटको सालों-साल बिरादर

मिल जाएँगे रोज़ दरिंदे
ओढ़े नकली ख़ाल बिरादर

समय नहीं है नेकी करके
फिर दरिया में डाल बिरादर

वह क्या देगा ख़ाक़ किसी को
जो ख़ुद ही कंगाल बिरादर

जब से पहुँच गए हैं दिल्ली
बदल गई है चाल बिरादर

लफ़्फ़ाजी से बात बनेगी
ख़ुशफहमी मत पाल बिरादर

हम बेचारों की उलझन तो
अब भी रोटी-दाल बिरादर

मंगलवार, 22 सितंबर 2015

बंदगी के सिवा ना हमें कुछ गंवारा हुआ

बंदगी के सिवा ना हमें कुछ गंवारा हुआ
आदमी ही सदा आदमी का सहारा हुआ

बिक रहे है सभी क्या इमां क्या मुहब्बत यहाँ
किसे अपना कहे,रब तलक ना हमारा हुआ

अब हवा में नमी भी दिखाने लगी है असर
क्या किसी आँख के भीगने का इशारा हुआ

आ गए बेखुदी में कहाँ हम नही जानते
रह गई प्यास आधी नदी नीर खारा हुआ

शाख सारी हरी हो गई ,फूल खिलने लगे
यूँ लगा प्यार उनको किसी से दुबारा हुआ



सोमवार, 21 सितंबर 2015

सफलता के लिए ज़रूरी है Focus !

ऐसा  क्यों  होता  है  कि  कई बार  सब  कुछ  होते  हुए  भी  हम  वो  नहीं  कर  पाते  जिसको  करने  के  बारे  में   हमने  सोचा  होता  है ….दृढ  निश्चय  किया  होता ……खुद  को  promise किया  होता  है  कि  हमें  ये  काम  करना  ही  करना  है …चाहे  जो  हो  जाए ….!!!
सब  कुछ  होते  हुए” से  मेरा  मतलब  है  आपके  पास  पर्याप्त  talent, पैसा ,  समय , या  ऐसी  कोई  भी  चीज  जो  उस  काम  को  करने  के  लिए  ज़रूरी  है ;  होने  से  है .

खुश रहने वाले माफ़ करना जानते हैं और माफ़ी माँगना भी :

हर  किसी  का  अपना -अपना  ego होता  है , जो  जाने -अनजाने  औरों  द्वारा  hurt हो  सकता  है . पर  खुश  रहने  वाले  छोटी -मोती  बातों को  दिल  से  नहीं  लगाते  वो   माफ़  करना  जानते  हैं , सिर्फ  दूसरों  को  नहीं  बल्कि  खुद  को  भी .
और  इसके  उलट  यदि  ऐसे  लोगों  से  कोई  गलती  हो  जाती  है , तो  वो  माफ़ी  मांगने  से  भी  नहीं  कतराते . वो  जानते  हैं  कि  व्यर्थ  का  ego उनकी  life को  complex बनाएगा  इसलिए  वो  “Sorry” बोलने  में  कभी  कंजूसी  नहीं  करते . मुझसे  भी जब गलती होती है तो मैं  कभी  उसे  सही  ठहराने  की  कोशिश  नहीं करता  और  उसे  स्वीकार  कर  के  क्षमा  मांग  लेता  हूँ .

माफ़  करना  और  माफ़ी  माँगना  आपके  दिमाग  को  हल्का  करता  है , आपको  बेकार   की  उलझन  और  परेशान  करने  वाली  thoughts से  बचाता  है , और  as a result आप  खुश  रहते  हैं .  

रविवार, 20 सितंबर 2015

कहानियां जो जिंदगी बदल दे

दोस्तों वैज्ञानिकों के अनुसार भौंरे का शरीर बहुत भारी होता है| इसलिए विज्ञान के नियमो के अनुसार वह उड़ नहीं सकता| लेकिन भौंरे को इस बात का पता नहीं होता एंव वह यह मानता है की वह उड़ सकता है| इसलिए वह लगातार कोशिश करता जाता है और बार-बार असफल होने पर भी वह हार नहीं मानता क्योंकि वह यही सोचता है कि वह उड़ सकता है| आखिरकार भौंरा उड़ने में सफल हो ही जाता है|


आपके विचार आपके जीवन का निर्माण


क्या हम यह नहीं जानते कि आत्म सम्मान आत्म निर्भरता के साथ आता है ?
शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वो माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का.
कृत्रिम सुख की बजाये ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहिये.

वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मे

वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मे कहते हैं आवाज में दर्द और शब्दों में जज्बात तब तक नहीं आते जब तक आपके दिल में भावनाओं का शैलाब ना हो. इस बात से शायद गजल की दुनिया के जादूगर जगजीत सिंह अच्छी तरह वाकिफ थे. अपनी आवाज से करोड़ो दिलों को नई जवानी प्रदान करने वाले जगजीत सिंह की खुद की जिंदगी भी बेहद अजीबो गरीब थी जिसमें दर्द, प्यार और कड़वाहट सभी का मेल था. 



सबसे पहले हम अपने आप से पूछे की हम दौड़ क्यो रहे है।

  सबसे पहले हम अपने आप से पूछे की हम दौड़ क्यो रहे है। सबके दौड़ने के कारण अलग अलग होते है। शेर दौड़ता है अपने शिकार को पकड़ने के लिए हिरण दौड़ता...