शनिवार, 14 मई 2016

जीवन में मैं कुछ कर न सका

जीवन में मैं कुछ कर न सका
देखा था उनको गाड़ी में
कुछ नीली नीली साड़ी में
वह स्टेशन पर उतर गईं
मैं उनपे थोड़ा मर न सका
जीवन में मैं कुछ कर न सका।

महिलाओं की थी भीड़ बड़ी
गगरा-गगरी थीं लिए खड़ी
घंटों मैं नल पर खड़ा रहा
फिर भी पानी मैं भर न सका
जीवन में मैं कुछ कर न सका।

वह गोरी थीं, मैं काला था
लेकिन उन पर मतवाला था
मैं रोज रगड़ता साबुन पर,
चेहरे का रंग निखर न सका
जीवन में मैं कुछ कर न सका।

अंग्रेजी ड्रेस उनको भाया
इसलिए सूट भी सिलवाया
सब पहन लिया मैंने लेकिन
नेकटाई-नाट संवर न सका
जीवन में मैं कुछ कर न सका।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

सबसे पहले हम अपने आप से पूछे की हम दौड़ क्यो रहे है।

  सबसे पहले हम अपने आप से पूछे की हम दौड़ क्यो रहे है। सबके दौड़ने के कारण अलग अलग होते है। शेर दौड़ता है अपने शिकार को पकड़ने के लिए हिरण दौड़ता...