बुधवार, 12 अप्रैल 2017

चाँदनी रात में, एक बार तुझे देखा है

चाँदनी रात में, एक बार तुझे देखा है
ख़ुद पे इतराते हुए, ख़ुद से शर्माते हुए
तूने चहरे पे झुकाया चहरा
मैंने हाथों से छुपाया चहरा
लाज से शर्म से घबराते हुए
पास तुम होते तो कोई शरारत करते
तुझे ले कर बाँहों में मोहब्बत करते

देखते तेरी आँखों में नींद का खुमार
अपनी खोई हुई नींदों की शिकायत करते

तेरी आँखों में अपना अक्स ढूँढ़ते
खुद से भी ज़यादा तेरी चाहत करते

कह गई थी वो कभी ना आऊँगी,
रात में रोज़ आ जाती है ख्वाबों मेँ..झूठी कहीँ की.

हम ने मोहब्बत के नशे में आ कर उसे खुदा बना डाला
होश तब आया .............
जब उस ने कहा कि खुदा किसी एक का नहीं होता...........

छू जाते हो तुम मुझे हर रोज एक नया ख्वाब बनकर,
 ये दुनिया तो खामखां कहती है कि तुम मेरे करीब नहीं।

नज़रों से क्यों इतना पिला देती हो
महखाने की राह भूल गए हैं
गुनाह हो जाये न मदहोशी में
इसी खातिर हरदम दूर बैठे हैं
कैसे करू मैंं साबित कि तुम याद बहुत आते हो
एहसाास तुम समझते नही आैर अदाएँ हमें आती नहीं..............


करोगे याद तो, हर बात याद आयेगी
गुज़रते वक़्त की, हर मौज ठहर जायेगी
... ये चाँद बीते ज़मानों का आईना होगा
प्यार क्या होता है हम नहीं जानते,
ज़िन्दगी को हम अपना नहीं मानते,
गम इतने मिले की एहसास नहीं होता,
कोई हमें प्यार करे अब विश्वास नहीं होता
माना की दुरियाँ कुछ बढ़ सी गई हैं
लेकिन तेरे हिस्से का वक्त आज भी तन्हा गुजरता है.....

कुछ अधूरी सी है हम दोनो की जिन्दगी
तुम्हें सकून की तलाश है और मुझे तुम्हारी...


जो हम महसूस करते हैं
अगर वो तुम तक पहुँच जाए
तो बस इतना समझ लेना
ये उन जज्बातों की खुशबू है
जिन्हें हम कह नही सकते।।

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