बुधवार, 23 सितंबर 2015

हौसले मिटते नहीं अरमाँ बिखर जाने के बाद

हौसले मिटते नहीं अरमाँ बिखर जाने के बाद
मंजिलें मिलती है कब तूफां से डर जाने के बाद

कौन समझेगा कभी उस तैरने वाले का ग़म
डूब जाये जो समंदर पार कर जाने के बाद

आग से जो खेलते हैं वे समझते है कहाँ
बस्तियाँ फिर से नहीं बसतीं उजड़ जाने के बाद

आशियाने को न जाने लग गई किसकी नज़र
फिर नहीं आया परिंदा लौटकर जाने के बाद

ज़लज़ले सब कुछ मिटा जाते हैं पल भर में मगर
ज़ख्म मिटते है कहाँ सदियाँ गुज़र जाने के बाद

आज तक कोई समझ पाया न यह राज़े-हयात
आदमी आखिर कहाँ जाता है मर जाने के बाद

प्यार से जितनी भी कट जाए वही है ज़िंदगी
याद कब करती है दुनिया कूच कर जाने के बाद


कौन यहाँ खुशहाल बिरादर

कौन यहाँ खुशहाल बिरादर
बद-से-बदतर हाल बिरादर


क़दम-क़दम पर काँटे बिखरे
रस्ते-रस्ते ज़ाल बिरादर

किसकी कौन यहाँ पर सुनता
भटको सालों-साल बिरादर

मिल जाएँगे रोज़ दरिंदे
ओढ़े नकली ख़ाल बिरादर

समय नहीं है नेकी करके
फिर दरिया में डाल बिरादर

वह क्या देगा ख़ाक़ किसी को
जो ख़ुद ही कंगाल बिरादर

जब से पहुँच गए हैं दिल्ली
बदल गई है चाल बिरादर

लफ़्फ़ाजी से बात बनेगी
ख़ुशफहमी मत पाल बिरादर

हम बेचारों की उलझन तो
अब भी रोटी-दाल बिरादर

मेरे परिवार में हम चार भाई-बहन थे

 मेरे परिवार में हम चार भाई-बहन थे — मैं, और मेरी तीन बहनें। दो बहनें बड़े शहरों में अच्छे घरों में ब्याही गई थीं, और एक थी राधा… जो किस्मत ...