शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

अचानक एक मोड पर सुख और दुख की मुलाकात हो गई।

अचानक एक मोड पर सुख और दुख की मुलाकात हो गई।
दुख ने सुख से कहा, : - तुम कितने भाग्यशाली हो,
जो लोग तुम्हें पाने की कोशिश में लगे रहते हैं....।
सुख ने मुस्कराते हुए कहा :- भाग्यवान मैं नहीं तुम हो...।
दुख ने हैरानी से पूछा :- " वो कैसे?
सुख ने बडी ईमानदारी से जवाब दिया
वो ऐसे कि तुम्हे पाकर लोग अपनों को याद करते हैं..,
लेकिन मुझे पाकर सब अपनो को भूल जाते हैं..।।

तुम आ गए हो ऐ शह-ए-ख़ूबाँ ख़ुशामदीद



तुम आ गए हो ऐ शह-ए-ख़ूबाँ ख़ुशामदीद
महका है आज दिल का गुलिस्ताँ ख़ुशामदीद।

उतरा है मेरी रूह के आँगन मे सैल-ए-नूर
गुरबत कदे में जश्न-ए-चरागाँ ख़ुशामदीद।

मिस्ल-ए-नसीम सुबह-ए-चमन हों सुबक खराम
इक इक क़दम नवेद-ए-बहाराँ ख़ुशामदीद।

जज़्बों को फिर यक़ीन की दौलत मिली आज
वजह-ए-करार-ए-क़ल्ब परीशाँ ख़ुशामदीद।

बरसों के बाद दिल में उजालों की है नुमू
मेहर-ए-मुनीर नैयर ताबाँ ख़ुशामदीद।

जाना तुम्हारी चश्म-ए-मोहब्बत का फ़ैज़ है
‘आशूर’ भी है आज ग़ज़लफ़ाँ ख़ुशामदीद।

ख़ूबाँ = The fair, The beautiful, Sweetheart, Lady-love
ख़ुशामदीद = Welcome
सैल = Short for सैलाब = Flood, Deluge, Torrent
नूर = Bright, Light, Luminescence, Luster, Refulgence
गुरबत = Exile
कद = A retreat, A den, A cavern
मिस्ल = Analogous, Example, Like, Record, Resembling
नसीम = Gentle Breeze, Zephyr
सुबक खराम = Jink
नवेद = Good News
नवेद-ए-बहाराँ = Call of Spring
क़ल्ब = Heart
वजह-ए-करार-ए-क़ल्ब = The reason of the calmness of the heart
परीशाँ = Having the disposition of a fairy, Like fairy
नुमू = Growth
मेहर-ए-मुनीर = Sunlight
नैयर = Lightsome, Luminous
ताबाँ = Hot, Burning, Light, Luminous, Shining, Radiant
चश्म = Eye
फ़ैज़ = Favour

रफ़्ता-रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामाँ हो गए


रफ़्ता-रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामाँ हो गए
पहले जाँ, फिर जान-ए-जाँ, फिर जान-ए-जाना हो गए।

दिन-ब-दिन बढ़ती गईं, उस हुस्न की रानाइयाँ
पहले गुल, फिर गुलबदन, फिर गुलबदाना हो गए।

आप तो नज़दीक से, नज़दीकतर आते गए
पहले दिल, फिर दिलरुबा, फिर दिल के मेहमाँ हो गए।

प्यार जब हद से बढ़ा सारे तकल्लुफ़ मिट गए
आप से फिर तुम हुए, फिर तू का उनवाँ हो गए।

ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं



ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।
तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है।

इक ज़रा-सा ग़म-ए-दौराँ का भी हक़ है जिसपर
मैंने वो साँस भी तेरे लिए रख छोड़ी है।
तुझ पे हो जाऊँगा क़ुर्बान तुझे चाहूँगा
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।


अपना जज़्बात में नग़मात रचाने के लिए
मैंने धड़कन की तरह दिल में बसाया है तुझे।
मैं तसव्वुर भी जुदाई का भला कैसे करूँ
मैंने क़िस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे।

प्यार का बन के निगाह-बान तुझे चाहूँगा
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।
तेरी हर चाप से जलते हैं ख़यालों में चिराग
जब भी तू आए जगाता हुआ जादू आए।

तुझको छू लूँ तो फिर ऐ जान-ए-तमन्ना मुझको
देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आए।
तू बहारों का है उनवान तुझे चाहूँगा।
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।

इसका रोना नहीं क्यों तुमने किया दिल बरबाद




इसका रोना नहीं क्यों तुमने किया दिल बरबाद
इसका ग़म है कि बहुत देर में बरबाद किया।

मेरी नज़र से न हो दूर एक पल के लिए
तेरा वज़ूद है लाज़िम मेरी ग़ज़ल के लिए।

कहाँ से ढूँढ़ के लाऊँ चराग से वो बदन
तरस गई हैं निग़ाहें कँवल-कँवल के लिए।

कि कैसा तजर्बा मुझको हुआ है आज की रात
बचा के धड़कनें रख ली हैं मैंने कल के लिए।

क्या बेमुरौव्वत ख़ल्क़ है सब जमा है बिस्मिल के पास
तनहा मेरा क़ातिल रहा कोई नहीं क़ातिल के पास।

‘क़तील’ ज़ख़्म सहूँ और मुसकुराता रहूँ
बने हैं दायरे क्या-क्या मेरे अमल के लिए।



अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको

अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको।

मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको।

ख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको।

बादाह फिर बादाह है मैं ज़हर भी पी जाऊँ ‘क़तील’
शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको।

उलझे धागों को सुलझाना मुश्किल है



उलझे धागों को सुलझाना मुश्किल है
नफरतवाली आग बुझाना मुश्किल है

जिनकी बुनियादें खुदग़र्ज़ी पर होंगी
ऐसे रिश्तों का चल पाना मुश्किल है

बेहतर है कि खुद को ही तब्दील करें
सारी दुनिया को समझाना मुश्किल है

जिनके दिल में कद्र नहीं इनसानों की
उनकी जानिब हाथ बढ़ाना मुश्किल है

रखकर जान हथेली पर चलना होगा
आसानी से कुछ भी पाना मुश्किल है

दाँवपेंच से हम अनजाने हैं बेशक
हम सब को यूँ ही बहकाना मुश्किल है

उड़ना रोज परिंदे की है मजबूरी
घर बैठे परिवार चलाना मुश्किल है

क़ातिल की नज़रों से हम महफूज़ कहाँ
सुबहो-शाम टहलने जाना मुश्किल है

तंग नजरिये में बदलाब करो वर्ना
कल क्या होगा ये बतलाना मुश्किल है

मेरे परिवार में हम चार भाई-बहन थे

 मेरे परिवार में हम चार भाई-बहन थे — मैं, और मेरी तीन बहनें। दो बहनें बड़े शहरों में अच्छे घरों में ब्याही गई थीं, और एक थी राधा… जो किस्मत ...