गुरुवार, 24 सितंबर 2015

"सोच का सृजन" उड़ेगी बिटिया

"सोच का सृजन" उड़ेगी बिटिया

हाँ नहीं तो और क्या

द़हे़ज

दहेज के जन्मदाता हम

पालनकर्ता हम

तो सामूल मिटाने वाला कौन होगा

हो चुका जो हो चुका

चूक तो बहुत हुई

चूका तो बहुत मौका

सुधरने सुधारने का जोश चढ़ा है

तो मौका है खा लो ना सौगन्ध

ना दोगे ना लोगे दहेज

कोर्ट मैरेज का कानून बना है

शुरुआत मैं कर चुकी

सब क्यों चूके मौक़ा

ना सताये समाजिक रूतबा

लोग क्या कहेंगे ण्ण्ण्ण्ण्ण् लोगों का तो काम ही है कहना

कोरी बातें जितना करवा लो

लम्बी लम्बी डींगे हांकवा लो

करने का वक़्त आयेगा तो

बगले झँकवा लो

बेटे की माँ को बेटे के जन्म से ही उसकी शादी का

शौक का नशा चढ़ा रहता है

तो बेटी की अम्मा तो गुड़िया की शादी शादी खेलती

आत्मजा में अपने सपने संजोये रहती है

डर लगेगी बिटिया कैसे ब्याही जायेगी

डर को दफन करो

मचलेगी बिटिया

उड़ेगी बिटिया

हाँ नहीं तो और क्या

3 टिप्‍पणियां:

सबसे पहले हम अपने आप से पूछे की हम दौड़ क्यो रहे है।

  सबसे पहले हम अपने आप से पूछे की हम दौड़ क्यो रहे है। सबके दौड़ने के कारण अलग अलग होते है। शेर दौड़ता है अपने शिकार को पकड़ने के लिए हिरण दौड़ता...