अब कौन?.
रोज़ रोज़ खुदा ढूंढे,
जिसको न मिला वही ढूंढे,
ज़िंदगी है तो जी!.?. खोल कर
जियो, रोज़ कौन क्यूं जीने,
की वजह
ढूंढे.
चलते, फिरते, पत्थरों- के शहर
में, पत्थर खुद..
पत्थरों, में,
खुदा,,
ढूंढे.
धरती को जन्नत बनाना है अगर
हर शख्स इंसानं में इंसान,
ढूंढे.
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